अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की तरह भावनात्मक रूप में भी काम कर पायेगी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम आते ही दिमाग में एक ही बात आती है कि क्या कभी कोई मशीन इंसान की तरह भी सोच सकती है। अभी तक इस क्षेत्र में जितना भी रिसर्च हुआ है, उसे देखकर तो यही लगता है कि आगामी कुछ सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की तरह भावनात्मक रूप में भी काम कर पायेगी। एआई एक ऐसा सिस्टम जो रियल टाइम डाटा के अनुसार वर्क करता है। जिसे हम खतरनाक मिशन पर भेज सकते हैं, युद्द में इस्तेमाल कर सकते हैं, रोजमर्रा के काम करवा सकते हैं। लेकिन मशीनों के ज्यादा इस्तेमाल से इंसान खुद को बेकार महसूस करने लग सकता है। इससे कई तरह की सामाजिक समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। कॉन्शियस मशीनें विभिन्न प्रकार की कानूनी अड़चनें उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी मशीनें ज्यादा समझदार होने पर मनुष्य के ख़िलाफ बग़ावत भी खड़ी कर सकती हैं। डरावना माहौल पैदा कर सकती हैं। इस तरह के शोध पर कई सवाल खड़े होते हैं, कि इन मशीनों पर कौनसे नियम लागू होंगे, इन्हें किस लेवल तक कॉन्शियस पॉवर दिये जाये, इनकी कंट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कौन करेगा। ज्यादातर कंप्यूटर वैज्ञानिक यही सोचते हैं कि चेतना एक अद्भुत विशेषता है जो कि ...