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Showing posts from January, 2018

अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की तरह भावनात्मक रूप में भी काम कर पायेगी

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम आते ही दिमाग में एक ही बात आती है कि क्या कभी कोई मशीन इंसान की तरह भी सोच सकती है। अभी तक इस क्षेत्र में जितना भी रिसर्च हुआ है, उसे देखकर तो यही लगता है कि आगामी कुछ सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य की तरह भावनात्मक रूप में भी काम कर पायेगी। एआई एक ऐसा सिस्टम जो रियल टाइम डाटा के अनुसार वर्क करता है। जिसे हम खतरनाक मिशन पर भेज सकते हैं, युद्द में इस्तेमाल कर सकते हैं, रोजमर्रा के काम करवा सकते हैं। लेकिन मशीनों के ज्यादा इस्तेमाल से इंसान खुद को बेकार महसूस करने लग सकता है। इससे कई तरह की सामाजिक समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। कॉन्शियस मशीनें विभिन्न प्रकार की कानूनी अड़चनें उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी मशीनें ज्यादा समझदार होने पर मनुष्य के ख़िलाफ बग़ावत भी खड़ी कर सकती हैं। डरावना माहौल पैदा कर सकती हैं। इस तरह के शोध पर कई सवाल खड़े होते हैं, कि इन मशीनों पर कौनसे नियम लागू होंगे, इन्हें किस लेवल तक कॉन्शियस पॉवर दिये जाये, इनकी कंट्रोलिंग और मॉनिटरिंग कौन करेगा। ज्यादातर कंप्यूटर वैज्ञानिक यही सोचते हैं कि चेतना एक अद्भुत विशेषता है जो कि

क्या गूगल हमारे दिमाग की जगह ले सकता है?

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आज के जमाने में जब सारी जानकारी और सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं तो फिर आँकड़ों को याद करने की या सूचना हासिल करने की क्या ज़रूरत है। जवाब सीधा और सरल है, संदर्भ के लिये। प्रसिद्द अमेरिकी पेंटर कैनेथ नोलैंड ने एक बार हार्टफॉर्ड यूनिवर्सिटी में दी गई अपनी स्पीच में कहा था कि मेरे लिये संदर्भ या रेफरेंस वह कुंजी है, जो मुझे हर वस्तु के बारे में सोचने समझने की शक्ति देती है। यह एक कला है, जो आपको जीवन का असल रूप दिखाती है। आपके आस-पास किस क्षेत्र में क्या घटित हो रहा है, उससे आपको रूबरू कराती है। यही वो खूबी है जो इंसान को मशीनों से अलग करती है। इसलिये यह कहना गलत नहीं होगा कि जानकारियों का अद्भुत भंडार गूगल सर्च इंजन इंसानी दिमाग की जगह नहीं ले सकता है। इस तथ्य को तुलनात्मक दृष्टि से देखना बिल्कुल गलत है, क्योंकि यह दोनों स्वतंत्र व्यवस्थाएं हैं। इनके बीच किसी तरह की प्रतियोगिता हो ही नहीं सकती। उदाहरण के लिये गूगल पर किसी भी जानकारी को ढूंढने के लिये कुछ निश्चित प्रश्नों या संकेतो का डाटाबेस गूगल के सर्वर पर स्टोर रहता है। जब भी हम कोई शब्द टाइप करते है, गूगल उससे संबंधित सूचना क

हम जी रहे हैं काल्पनिक दुनिया में क्या आप भी मानते

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दोस्तों यह सवाल हमारे दिमाग में अक्सर आता रहता है कि इस धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई और यह ब्रह्मांड इतनी दूर तक कैसे फैला हुआ है जीवन से यह बताया जाता है कि इस धरती पर जीवन की शुरूआत है भगवान ने की थी भगवान ने हम सब को बनाया है। आज यहां पर हम बात करेंगे कि हम जिस दुनिया में जी रहे हैं वह असली है या काल्पनिक है। या दूसरे शब्दों में कहें तो आप जो आर्टिकल अपने फोन में पढ़ रहे हैं वह असली नहीं है या कहें तो नकली है लेकिन आप उसको देख पा रहे हैं क्योंकि वह फोटो में लिखा हुआ है कभी आपने सोचा है कि इस ब्रम्हांड में जो सब चीजें बनी हुई है वह इतनी अच्छी तरह से क्यों कैसे बनी हुई है जो कि फिजिक्स के ला को फॉलो करते हैं क्यों इस ब्रम्हांड में कभी कोई उत्तल पुथल नहीं होती है। इन सभी सवालों का सीधा सवाल जवाब है सिमुलेशन हाईपरथेमिस जिसकी वजह से हमारी धरती हमारा ब्रह्मांड कितना परफेक्ट है याद भी एक छोटी सी छोटी परमाणु तक यदि आपने मैट्रिक्स मूवी देखी होगी तो हमारा लेख आप को अच्छे से समझ में आ जाएगा। जिसमें यह बताया गया है कि हम लोग कैसे एक प्रोग्राम दुनिया के अंदर रहते हैं। महाभारत में भी अ

ISRO के सैटेलाइट ने भेजी पहली फोटो.

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने मंगवार को कार्टोसैट-2 श्रृंखला के अपने उस उपग्रह द्वारा ली गई पहली तस्वीर जारी की जिसे हाल में यहां से 110 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष एजेंसी के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया गया था. भारत ने इस प्रक्षेपण से अपने 100 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने का कीर्तिमान रचा है. इस उपग्रह ने पहले दिन इंदौर के होलकर स्टेडियम की तस्वीर भेजी है. इस तस्वीर को बंगलुरू मुख्यालय वाले इसरो की वेबसाइट पर जारी किया गया है. इसरो ने शुक्रवार सुबह 9.28 पर पीएसएलवी के जरिए एक साथ 31 उपग्रह को लॉन्च किए. भेजे गए कुल 31 उपग्रहों में से तीन भारतीय हैं और 28 अन्य छह देशों के थे. पृथ्वी अवलोकन के लिए 710 किलोग्राम का कार्टोसेट-2 सीरीज मिशन का प्राथमिक उपग्रह है. इसके अलावा 100 किलोग्राम का माइक्रो और 10 किलोग्राम का नैनो उपग्रह भी शामिल थे. कुल 28 अंतरराष्ट्रीय सह-यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, 5 दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के थे. बीते साल फरवरी में भारत ने एक साथ 104 उपग्रहों को भेजा था. इनमें अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड

किम की नई धमकी, कहा

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दुनिया में अपने कारनामों को लेकर बीते वर्ष में छाए रहे किम जोंग उन ने इस वर्ष की शुरूआत में ही दुनिया के बड़े देशों को झटका दे दिया है। हालांकि पिछले वर्ष उन्होंने कभी परमाणु हथियारों का परीक्षण किया तो कभी अमेरिका और जापान पर हमले की धमकियां देकर इन देशों को डराया लेकिन इस बार तो उन्होंने दुनिया को बड़ी धमकी दे दी है। अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर कोरिया के खिलाफ भले ही कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हों, लेकिन इसका असर उस पर पड़ता नहीं दिख रहा है। कम से कम उत्तर कोरियाई के किम जोंग उन के बयानों से तो ऐसा ही लगता है। नए साल के मौके पर एक बार फिर किम ने दुनिया को परमाणु हमले की धमकी दी है। देश के नाम संदेश में किम जोंग ने कहा कि मेरी टेबल पर हमेशा ही न्यूक्लियर हथियार का बटन होता है। इतना ही नहीं नए साल पर देश के नाम दिए संदेश में तानाशाह किम ने कहा कि-‘हमें बड़े पैमाने पर परमाणु हथियार और मिसाइल बनाना है और तेजी से उसे देश की सुरक्षा के लिए तैनात भी करना है। उत्तर कोरिया इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण पर ज्यादा जोर दे रहा है। खासतौर पर ऐसी मिसाइलें, जो सीधे अमेरिका तक मा