चांद तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है
धरती ऊपर से दिखता सफेद रंग का सुंदर चांद पृथ्वी से 3,84,400 किलोमीटर दूर है। इसलिए हमें धरती से यह छोटा दिखता है। हालांकि अब वैज्ञानिक चांद पर जा कर आ गए हैं और चांद की जमीन कैसी है? वहां पर क्या क्या चीज है? वहां पर कोई रहता है या नहीं ? क्या यहां से दिखता हुआ चंदामामा बर्फ से ढका हुआ है क्या? यह सारे प्रश्न का जवाब हमें मिल गए हैं। दूर से दिखते चंदामामा तक पहुंचने में कितना वक्त लगता है आइए हम जानते हैं।
सबसे पहले 1959 में रसिया द्वारा पहला स्पेसक्राफ्ट चांद पर भेजा गया था यह प्रथम स्पेसक्राफ्ट लूना-1 34 घंटे में चांद पर पहुंचा था। उसके बाद भेजा गया अपोलो-11 3 दिन, 3 घंटे उन 49 मिनट के बाद जान पर पहुंचा था। लूना 110 से 6000 किलोमीटर दूर रहा था। जब की नासा प्लूटो मिशन में आधुनिक तकनीक और हाई स्पीड का यूज करके हमको मात्र 8 घंटे और 35 मिनट में चांद तक पहुंचा दिया गया था। यह सबसे कम समय का रिकॉर्ड है। चांद के बारे में और भी कुछ आकर्षक बातें हैं जो जानने मैं आपको दिलचस्पी होगी। चांद गोल नहीं बल्कि अंडाकार है। चांद अगर धरती से गायब हो जाए तो धरती पर दिन महज घंटे का हो जाएगा। चंद्र की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से कम होती है, इसी वजह से अंतरिक्ष यात्री चांद पर उछल कूद ज्यादा कर सकते हैं। चांद पर पानी भारत की खोज है। भारत से पहले भी कई वैज्ञानिको का मानना था कि चांद पर पानी होगा परंतु किसी ने यह खोजा नहीं। पूरा चांद आधे श्याम से 9 गुना ज्यादा चमकदार होता है। हो सकता है भविष्य में चांद के बारे में और भी कुछ नहीं खोजें हो जिसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
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